मांगने की आदत जाती नहीं भजन
जैसा चाहो मुझको समझना
बस इतना ही तुमसे कहना ।
मांगने की आदत जाती नहीं
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं ।।
बड़े बड़े पैसे वाले भी
तेरे द्वारे आते हैं ।
मुझको हैं मालुम की वो भी
तुझसे मांग के खाते हैं ।
देने में तु घबराता नहीं
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं ।।
तुमसे दादा शरम करू तो
और कहां मैं जाऊंगा ।
अपने इस परिवार का खर्चा
बोल कहां से लाऊंगा ।
दुनिया तो बिगड़ी बनाती नहीं
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं ।
तु ही कर्ता मेरी चिंता
खुब गुजारा चलता हैं ।
कहे ‘पवन’ की तुझसे ज्यादा
कोई नहीं कर सकता हैं ।
झोली हर कही फैलाई जाती नहीं
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं ।।
जैसा चाहो मुझको समझना
बस इतना ही तुमसे कहना ।
मांगने की आदत जाती नहीं
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं ।