Kailash Nivasi Shiv Bhajan
कैलाश निवासी हो तुम तो अविनाशी हो
मरघट में भी रहके आप घट घट के वाशी हो
जिसके तू करीब है बड़ा खुशनसीब है
मौत भी करे क्या उसका
जो तेरे करीब है हर हर सुखदासी हो,
प्रभु वेदप्रकाशी हो मरघट में रहके भी
आप घट घट के वाशी हो
बदली है कितनी तूने, फूटी तकदीरें
तोड़ डाली पल में तूने, दुखों की जंजीरें
संकट के नाशी हो, प्रभु तुम दुखनाशी हो
मरघट में रहके भी आप घट घट के वाशी हो
आंखों में आंसू भरके जब कोई बुलाएगा
सुनके आहें ये भक्तों की दौड़ा चला आएगा
विषधर सन्यासी हो, प्रभु तुम अविनाशी हो
मरघट में रहके भी आप घट घट के वाशी हो
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