कान्हा अब तो मुरली की मधुर New Krishan Bhajan
ओ कान्हा अब तो मुरली की, मधुर सुनाईयो तान
मैं दासन का दास हूँ, प्रभु मोकूं लेउ पहिचान।
मोहे आस लगी मोहन तेरी, ये सूरत मधुर दिखा जाना
ओ वृन्दावन के रखवाले, इस बृज में फिर से आ जाना
सुनता हूँ अपने कानों से, तुम वंशी मधुर बजाते थे
वंशी की मीठी तानों से, सारे ही बृज को नचाते थे
ओ सबका मन हरने वाले वंशी मधुर बजा जाना
ये भी सुनता हूँ गिरधारी तुम माखन खूब चुराते थे
माखन मिश्री के बहाने से गोपी ग्वाल बुलाते थे।
वो लीला करके मन मोहन, फिर से सबको दिखला जाना
हे बृजेश बृज के बसइया बृजवासी तुम्हें बुलाय रहे
गोपाल मण्डल के गोपाला तेरे चरणन शीश झुकाय रहे
ओ बाँके बिहारी बृजनंदन तुम फेरी यहाँ लगा जाना