Dwarka Dheesh Aarti
द्वारकाधीश आरती
जय द्वारका धीश जय द्वारका धीश
जय द्वारका धीश जय द्वारका धीश
जय जय द्वारका धीश जय द्वारका धीश,
जय जय द्वारका धीश इनकी भक्ति करो भाव
से इन्हे झुकाओ शीश जय द्वारका धीश
जय जय द्वारका धीश
एक समय जब पापी कंस ने
परजा पे अत्याचार किया
तभी कृष्ण ने कारागृह में
आधी रात अवतार लिया
बंदी गृह के ताले टूटे माया अप्रम पर
लिए शीश पे वासुदेव लो चलो रे जमुना पर
हुई ध्वंस वो चल कंस की
हुई ध्वंस वो चल कंस की
साक्षील है जगदीश जय द्वारका धीश
जय जय द्वारका धीश
अपने चाल से मरी पुतना विफल हो गयी चल
गोकुल के सब ग्वाल बाल संग खेल रहे गोपाल
माँ की ओखली से बांध गए जब नन्हे कृष्ण मुरार
उसी ओखली से किया लो यमलार्जुन उधर
नाग कालिया बड़ा दुष्ट था जहरीली उसकी फुंकार
उसके फैन को नाथ के पर्भु में किया जनता उधार
मुरली बजाये हे मन मोहन
मुरली बजाये हे मन मोहन
खड़े नाग के शीश जय द्वारका धीश
जय जय द्वारका धीश
एक दिन कार्ल अस्नान करने गोपियाा आयी जमुना तीर
होकर नगण उतर गयी जल में तट पे रख दिए चित्र
नटखट चलिए ने क्या सूझा करके चीर हरण चुप गए लाल
हाथ जोड़ कर कड़ी गोपिया समझाए उनको गोपाल
गोवर्धन पर्वत को उठाया दे उंगली की तेज
सबकी डूबने से रक्षा की सबकी राखी तक
ग्वाल गोपिया गावुये देती ग्वाल गोपिया गावुये देती
कहने को आशीष जय द्वारका धीश
जय जय द्वारका धीश
दुष्ट कंस की बरी आयी जिसने अत्याचार किया
जिसने अत्याचार किया चल चाली गोपाल ने ऐसी
कंस का झट संघार किया कंस का झट संघार किया
उसकी छाती पर चढ़ बैठे उसकी छाती पर चढ़ बैठे
जगत पति जगदीश जय द्वारका धीश
जय जय द्वारका धीश जय द्वारका धीश
जय जय द्वारका धीश