Jisaki Naiya Sambhale Kanhaiya Lyrics
जिसकी नैया संभाले कन्हैया
जिसकी नैया संभाले कन्हैया
उसको कोई भी डर न भंवर का
एक उसकी ही मंज़िल सही है
जो पथिक है प्रभु की डगर का
गम की आंधी उसे क्या उड़ाए
जो प्रभु मौज में झूमता है
ढूढ़ता जो सदा सँवारे को
संवारा खुद उससे ढूढ़ता है
सच्चे ह्रदय से होक समर्पित
अपने ठाकुर को जो पूजता है
जिसका रिश्ता है माया पति से
जग की माया उससे क्या लुभाये
उसकी नज़रो में सब है
बराबर कोई अपने न पराये
जिसके दिल में बसा श्याम सुन्दर
हर कही वो श्याम देखता है
ढूढ़ता जो सदा सँवारे को
संवारा खुद उससे ढूढ़ता है
एक दिन छोड़ के जग है जाना
बिनु बंजा श्याम का देवना
श्याम को जिसने है मन
उसको चरणों में मिलता ठिकाना
जाने के बाद में ये जनमा
उनके चरणों की रज ढूढ़ता है
ढूढ़ता जो सदा सँवारे को
संवारा खुद उसे ढूढ़ता है