Ram Laksham Ji Ki Aarti Lyrics
राम लक्षमण जी की आरती
अति सुख कौसल्या उठि धाई।
मुदित बदन मन मुदित सदनतें,
आरति साजि सुमित्रा ल्याई॥
जनु सुरभी बन बसति बच्छ बिनु
परबस पसुपतिकी बहराई।
चली साँझ समुहाहि स्रवत थन
उमँगि मिलन जननी दोउ आई॥
दधि-फल-दूब-कनक-कोपर भरि
साजत सौंज बिचित्र बनाई।
अमी-बचन सुनि होत कोलाहल
देवनि दिवि दंदुभी बजाई॥
बीथिन सकल सुंगध सिंचाई।
पुलकित-रोम, हरष-गदगद-स्वर
जुबतिनि मंगल गाथा गाई॥
निज मंदिर लै आनि तिलक दै
दुज गन मुदित असीस सुनाई।
सियासहित सुख बसो इहाँ तुम
‘सूरदास‘ नित उठि बलि जाई॥