गुरूवार, कार्तिक मास और एकादशी को गाया जाने वाला भगवान श्री हरी विष्णु को समर्पित बहुत ही प्यारा भजन "लख चौरासी भोग के तूने यह मानव तन पाया" इस भजन के बोल नीचे लिखे गये हैं।
ShreeMan Narayan Narayan Lyrics
श्रीमन नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण
लख चौरासी, भोग के तूने
यह मानव तन पाया
लख चौरासी, भोग के तूने
यह मानव तन पाया
रहा भटका माया में
कभी न हरी गन गाया
रहा भटका माया में
कभी न हरी गन गाया
भज ले नारायण नारायण नारायण
भज ले नारायण नारायण नारायण
वेद पुराण भगवत गीता
आतम ज्ञान सिखाये
रामायण जो पड़े हमेशा
राम ही रह दिखाए
भज ले नारायण नारायण नारायण
भज ले नारायण नारायण नारायण
गज और ग्राह लड़े जल भीतर
लड़त लड़त गज हारा
प्राणो पर जब आन पड़ी तो
प्रेम से तुझे पुकारा
आओ नारायण नारायण नारायण
आओ नारायण नारायण नारायण
कोई नहीं है जग में तेरा
तूं काहे भरमाये
कोई नहीं है जग में तेरा
तूं काहे भरमाये
प्रभु की शरण में आ जा बन्दे
वो ही पार लगाए
भज ले नारायण नारायण नारायण
भज ले नारायण नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण