ज़िंदगी एक किराए का घर है Jindagi Ek Kiraye Ka Ghar Hai

Jindagi Ek Kiraye Ka Ghar Hai Lyrics

 ज़िंदगी एक किराए का घर है

 ज़िंदगी एक किराए का घर है

एक ना एक दिन बदलना पड़ेगा


मौत जब तुमको आवाज़ देगी

घर से बाहर निकलना पड़ेगा


ढेर मिट्टी का हर आदमी है

बाद मरने के होना यही है


या ज़मीनो में तुरबत बनेगी

या चिताओ में जलना पड़ेगा


ज़िंदगी एक किराये का घर है

एक ना एक दिन बदलना पड़ेगा


रात के बाद होगा सवेरा

देखना है अगर दिन सुनहरा


पाँव फूलो पे रखने से पहले

तुमको काँटों पे चलना पड़ेगा


ज़िंदगी एक किराये का घर है

एक ना एक दिन बदलना पड़ेगा


ऐतबार उनके वादो का मत कर

वरना ए दिल मेरे ज़िंदगी भर


तुझको भी मोमबति की तरह

कतरा कतरा पिघलना पड़ेगा


ज़िंदगी एक किराये का घर है

एक ना एक दिन बदलना पड़ेगा


ये जवानी हैं पल भर का सपना

ढूँढ ले कोई महबूब अपना


ये जवानी अगर ढल गई तो

ऊम्र भर हाथ मलना पड़ेगा


ज़िंदगी एक किराये का घर है

एक ना एक दिन बदलना पड़ेगा


ज़िंदगी एक किराए का घर है

एक ना एक दिन बदलना पड़ेगा


मौत जब तुमको आवाज़ देगी

घर से बाहर निकलना पड़ेगा

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