Kalyug Ki Vani Lyrics
कलयुग की वाणी
हो अति पावन अति पतित सुहानी
कलयुग की ये मधुर कहानी
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो जो झूठा सो ऊँचा होगा
सच वाला ही निचा होगा
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो करेगा जो जितनी भी बुराई
उसी की होगी जग में बढ़ाई
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो जिसको भी तुम दोगे सहारा
बनेगा दुश्मन वही तुम्हारा
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो जिसको राह दिखाओगे तुम
चोट उसी से खाओगे तुम
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो ज्यादा बक बक न तू करना
परछाई पे भी शक करना
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो जो भी तेरे साथ चलेगा
एक न एक दिन घात करेगा
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो कोर्ट कचहरी जो जाता है
कही का न वो रह जाता है
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो बिना फैसला मर जाता है
बिक उसका घरवर जाता है
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो खेत न देखा कभी धान का
चावल बेचे बड़े ब्रांड का
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो धुप में कोई करे जुताई
बैठ छांव कोई करे कमाई
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो काली लगती है घरवाली
फूलझड़ी सबको साली
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
हो चाहे लाख बुरा हो साला
बहुत बड़ा है किस्मत वाला
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी
ये है कलियुग की वाणी
भटकेगा हर एक प्राणी