ईमानदारी और मेहनत से मिली सफलता"
एक छोटे से गाँव में राम नाम का एक लड़का रहता था। उसके घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। गरीबी के कारण उसका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन उसके मन में बड़ा सपना था। राम का मानना था कि यदि वह किसी बड़े शहर में नौकरी कर सके, तो शायद वह अपने परिवार की मदद कर पाएगा और अपनी शिक्षा को भी आगे बढ़ा सकेगा।
राम ने बड़े शहर जाने का निश्चय किया और कलकत्ता की ओर रुख किया। वहां पहुँचकर, उसने नौकरी ढूँढने की शुरुआत की। कई दिनों तक उसने एक अच्छी नौकरी की तलाश की, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। जब वह थक चुका था, तभी उसे एक सेठ के घर में नौकरी का प्रस्ताव मिला। काम था सेठ को प्रतिदिन 6 घंटे अखबार और किताबें पढ़कर सुनाना।
हालांकि यह काम राम की उम्मीदों के अनुरूप नहीं था, लेकिन उसे नौकरी की सख्त जरूरत थी, इसलिए उसने उसे स्वीकार कर लिया। वह ईमानदारी से अपना काम करता और सेठ के लिए हर दिन किताबें और समाचार पढ़कर सुनाता।
एक दिन की बात है, जब राम दुकान में काम कर रहा था, उसकी नजर दुकान के कोने में पड़ी कुछ नोटों पर गई। वहाँ 100-100 के आठ नोट गिरे हुए थे। वह चौंक गया, लेकिन उसने चुपचाप उन नोटों को अखबार और किताबों से ढक दिया, ताकि कोई उन्हें देख न सके। राम की ईमानदारी उसके भीतर गहराई तक समाई हुई थी।
अगले दिन जब रुपयों की खोजबीन शुरू हुई, तो सेठ और उसके कर्मचारी परेशान हो गए। राम जब सुबह दुकान पर आया, तो उससे भी पूछताछ की गई। बिना किसी हिचकिचाहट के, राम ने तुरंत उन नोटों को निकालकर ग्राहक को लौटा दिए। उसकी ईमानदारी देख सभी लोग बहुत खुश हुए।
सेठ उसकी सच्चाई और ईमानदारी से अत्यधिक प्रभावित हुआ। उसने राम को पुरस्कार देने का फैसला किया। लेकिन राम ने विनम्रता से पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया। उसने सेठ से कहा, "सेठ जी, मुझे इनाम की आवश्यकता नहीं है। मैं आगे पढ़ना चाहता हूँ, लेकिन पैसों की कमी के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रहा हूँ। अगर आप मेरी पढ़ाई में मदद कर सकें, तो मेरे लिए वही सबसे बड़ा इनाम होगा।"
सेठ राम की लगन और सच्चाई से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उसकी पढ़ाई का पूरा प्रबंध कर दिया। राम ने कड़ी मेहनत से अपनी पढ़ाई जारी रखी। दिन-रात की मेहनत और अपनी लगन से वह शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल करता गया। यही राम आगे चलकर एक महान साहित्यकार बने, जिनका नाम था राम नरेश त्रिपाठी। हिंदी साहित्य में उनका अमूल्य योगदान है, और उनकी कहानियाँ आज भी प्रेरणादायक मानी जाती हैं।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि ईमानदारी और कड़ी मेहनत से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। जो व्यक्ति अपने रास्ते में आने वाली कठिनाइयों का डटकर सामना करता है, वह अंततः सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचता है। ईमानदार व्यक्ति ईश्वर की सर्वोत्तम रचना होता है।